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कैप्लर के नियम(Kepler's lows )

 टाइको ब्रेह (Tvcho Brahe) के खगोलीय परीक्षणों के आधार पर केप्लर ने सूर्य की परिक्रमा करने वाले ग्रहों की गति के संबंध में निम्नलिखित तीन नियम प्रतिपादित किए जिन्हें ग्रहों की गति के केप्लर के नियम (Kepler's lows of plenetary motion) कहां जाता है  1) कक्षाओं और का नियम(Law of Orbit) (2) क्षेत्रीय चाल का नियम(Law of Areal Velocity)(3)परिक्रमण कालों का नियम(Law of Periods) (1) कक्षाओं का नियम  ( Low of orbi) इस नियम के अनुसार,‌‌ऺ‌‌ऺ‌‌ऺ‌‌ऺ‌ऺ‌‌ऺऺ‌‌ऺ‌ऺऺ‌‌ऺ‌‌ऺ‌‌ऺ‌‌ऺ‌‌ऺ‌ऺ‌‌ऺ ‌‌ऺ‌‌ऺ‌ प्रत्येक ग्रहसूर्य के परित:दीर्घवृत्ताकार(alliptical) पद पर गति करता है तथा सूर्य उस क किसी एक फोकस (नाभि )पर होता हैै (2) क्षेत्रीय चाल का नियम(Low of Areal  Velocity)  इस नियम के अनुसार ,``किसी भी ग्रह को सूर्य से मिलने वाली रेखा, अर्थात ग्रह का सूर्य के सापेक्ष त्रिज्य-वेक्टर  ,समान समय अंतरालों में समान क्षेत्रफल तय(sweep) करता है; अर्थात ग्रह की क्षेत्रीय चाल (areal Velocity)नियत रहती है|``  (3) परिक्रमा कालों का नियम(Law of Periods) इस नियम के अनुसार ॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔॔...

संज्ञा का अर्थ

  संज्ञा का अर्थ‌-   संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है-सम्+ज्ञा अर्थात् सम्यक् ज्ञान कराने वाला। इस प्रकार संज्ञा कि परिभाषा है-किसी भी वस्तु, व्यक्ति,गुण ,भाव स्थिति का परिचय कराने वाला शब्द।इसका दूसरा पर्याय है- नाम। अतः किसी भी व्यक्ति वस्तु, स्थिति या गुण के नाम को संज्ञा कहते हैं।

महुआ के पत्ते का उपयोग

 महुआ के पत्ते  को बस्तर में पत्तल, दोनी बनाते हैं जो कि बर्तन का काम करता है उससे हम खाना  सब्जी पका हुआ रख सकते है जिसे हम यानी बस्तर के लोग शादी विवाह या अन्य त्योहरों में उपयोग करते हैं बर्तन के रूप में उपयोग करते हैं हमने देखा है कि मंदिरों में पात्र के रूप में आशा की थाली का उपयोग करते हैं उसी प्रकार बस्तर में पत्ते के बने फल और धोनी का प्रयोग करते हैं जो कि पवित्र पात्र के रूप में होता है महुआ के पत्ते को बस्तर में गिलास के रूप में प्रयोग करते हैं जिसे चिपड़ी कहते हैं यानी जब हम गिलास का प्रयोग करते हैं उस जगह चिपड़े का उपयोग कर सकते हैं पानी पीने और अन्य चीज पीने के लिए

महुआ का पेड़

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 महुआ का वृक्ष बस्तर के वनवासियों के लिए वरदान स्वरुप हे क्योंकि महुआ के वृक्ष से कई प्रकार के औषधीयां प्राप्त करते हैं  सराब आदी बनाते हैं फल से तेल निकाला जाता है जिसको खाने और शरीर में लगाने के लिए उपयोग किया जाता है बस्तर में महुआ के वृक्ष को भगवान का स्वरूप माना जाता है और इनकी पूजा की जाती है यह बस्तर के पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार ही इसे भगवान का रूप माना जाता है